ये बदमाशी की बातें तो सोच समझ के किया कर बेटे
क्यूंकि जिन किताबो से तूने सीखा है बो किताब मेने लिखी है
शेरे ने कुछ दिन शिकार नहीं किया
तो कुत्ते समझने लगे जंगल उनका है
शेरो की तरह जीते थे जब तक कमाते नहीं थे
जब कामना शुरू किये जिंदगी शेरू की तरह हो गयी है
मारूंगा १०० गिनूंगा एक
यकीन नहीं आता तो उंगली उठा करके देख
जो आपकी जिंदगी में कील बनकर बार बार चुभे
उसे हथोड़ा बांके थोड़ दो
hamaari ragon me wo khoon daudta hai
Jiski ek boond tejaab par gir jaye to
Tejaav hi jal jaaye...
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