कभी पागल तो कभी दीवाना कहती हो,
कभी दोस्त तो कभी दोस्ताना कहती हो,
कैसे माफ़ कर दूँ तुम्हें,
पहले जानबूझकर ग़लती करती हो
फिर सॉरी कहती हो।
नाराज़गी हमसे हैं और
तकलीफ़ ख़ुद को देना ग़लत बात हैं!!
ज़िंदगी सिर्फ चार दिन की दास्ताँ है,
कहीं रूठने मनाने मे न निकल जाये...
माफ़ कर दो उनको
जिनको तुम भूल नहीं सकते..
भूल जाओ उनको
जिनको तुम माफ़ नहीं कर सकते..!!
तुझसे नाराज नही तुझसे दूर हूं,
आदत नहीं पर में मजबूर हूं,
दिखाने के लिए तो एक दम मजबूत हूं,
पर तेरे जाने के बाद अन्दर से चूर चूर हूं...।।
ग़लती इतनी भी बड़ी नहीं की हमने..
जो नाराज़ हो जाओ उम्रभर के लिए..
माना कि हम तेरे कोई नहीं..
पर तू मेरी सबकुछ ये भी तो
किसी से छुपा नहीं..
..प्लीज़ मान जाओ..
सारा जहाँ चुपचाप है,
आहटें ना साज़ है,
क्यों हवा ठहरी हुई है,
क्या आप नाराज़ है..???!!
कहीं नाराज न हो जाए प्यार मुझसे,
हर सुबह उठते ही "खुदा" से पहले
तुझे जो याद करता हूँ !!
ऐ प्यार-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़,
मुझको आदत है
तुझे "खुश" देखने की !!
खता हो गयी तो
फिर सज़ा सुना दो,
दिल में इतना दर्द क्यूँ है
वजह बता दो !!
हमारा तुमपे कोई हक तो नहीं है,
फिर भी ये ज़रूर कहना चाहेंगे,
हमारी ज़िन्दगी तुम मांगलो,
मगर प्लीज उदास मत रहा करो,
!!....कीप स्मिलिंग…!!
ऐसा भी क्या कुसूर हमने कर दिया,
कि आपने इस तरह गैर कर दिया,
माफ़ करना हमारी गलतियों को,
जिनकी वजह से आप ने हम को याद करना कम कर दिया।
आसमान वीरान है, तारे भी हैरान हैं,
माफ़ कर दो मेरी चाँदनी,
देख तेरा चाँद भी तो परेशान है।
रूठी हो जानता हूँ मैं,
खफा हो मानता हूँ मैं,
गलती हुई है अब माफ़ कर दो,
तुम्हारे दिल का हाल जनता हूँ मैं।
एक बार हमसे रूठकर तो देखो..
हम मर जाऐंगे तुम्हें मनाते मनाते...!!!
इस कदर हमसे रूठ न जाइये,
माना गलती हुई है हमसे,
पर ऐसे खामोस ना हो जाइये,
जो दोगे सजा होगी कुबूल हमें,
बस एक बार मुस्कुरा जाइये...!!
तेरी यारी हम इस तरह निभाऐंगे,
तुम रोज रूठ जाना हम रोज मनाऐंगे,
पर मान जाना हमारे मनाने से..
वरना भीगी आंखे लेकर हम कहां जाऐंगे।
जिस पल में टूट जाते हैं सपने,
उस पल में ही रूठ जाते हैं अपने,
हमें किसी को मनाना नही आता,
शायद तभी तो हमसे रूठ जाते हैं अपने...!!!
धडकन बनकर जो दिन में समा जाते है,
हर एक पल जिनकी याद में बैठे है,
आंसू तक निकल जाते हैं जब वो याद आते है,
जान चली जाती है जब वो हमसे रूठ जाते है..।।
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